कोरोना के डर से बहुत से लोगों ने मांस खाना बंद कर दिया था अब जुबान के स्वाद के खातिर फिर से शुरू कर दिया
- तकलीफ अगर याद रहे तो काहे को आवे
- सच्ची पूजा इबादत भजन का रास्ता अगर मालूम हो जाए तो जीवन सार्थक, नहीं तो कौड़ी बदले जाए
इस अनमोल मनुष्य जीवन की सार्थकता को बताने समझाने वाले, दुःख के बार-बार आने के कारण और उसके स्थाई समाधान के उपाय बताने वाले, शाकाहार सदाचार नशामुक्ति पर जोर देने वाले, अज्ञानता में लोगों की बेकार जाती मेहनत को बचाने वाले, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी तत्वदर्शी धरती के सरताज उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 6 जून 2022 को वलसाड़ (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो धन-दौलत कितना भी इकट्ठा करले, पूजा-पाठ कितना भी करले, आदमी को शांति नहीं मिल पा रही है। कारण क्या है? जिस मनुष्य शरीर रूपी मंदिर से आप पूजा-पाठ करते हो वही गंदा है। जैसे मंदिर में कोई गंदी चीज डाल दे तो कोई वहां पूजा नहीं करता, ऐसे ही ये मानव मंदिर है। इसमें जब लोग मुर्दा मांस डाल देते हैं तो कितना भी पूजा-पाठ करो वह कबूल नहीं करता।
मांस, मछली, अंडा, शराब का सेवन करते, मंदिरों में जाते है तो कैसे कह सकते हैं कि हम धार्मिक हैं
जो लोग मांस-अंडा खाते, शराब का नशा करते, होश में नहीं रहते, वो कहते हैं हम धार्मिक हैं, हम पूजा करते हैं, मंदिरों में जाते हैं, हवन, अनुष्ठान, यज्ञ सब करते है। लेकिन कैसे कहां से करते हैं? इसी मानव मंदिर के अंग से, हाथ से करते हैं। इसी से फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाते, इसी मुहं से श्लोक पढ़ते, स्तुति प्रार्थना करते हैं। तो जब यही गंदा है तो वो मालिक कहां से कबूल करेगा? नहीं करेगा।
हिंसा-हत्या कीया, पशु-पक्षियों का मांस निकाल के उसके जीव को सताया इसलिए वो पूजा-उपासना कबूल नहीं कर रहा और नाराज होकर के सजा देता है
बच्चा गंदा हो करके आता है तो आप गले नहीं लगाते। पहले सफाई करते हो तब गले लगाते हो। गंदगी कोई पसन्द नहीं करता तो मालिक कैसे गन्दगी पसंद करेगा? जिसमें सड़न गलन बदबू हो, दिल दु:खा कर, हिंसा-हत्या कर, मांस निकाल कर खाया गया हो, उसके ही जीव को सताया हो तो (आपकी पूजा) कबूल नहीं करेगा और नाराज हो जाता है फिर सजा देता है। यहां भी सजा मिलती है, तकलीफ आती है।
आदमी तकलीफ को भूल जाता है, अगर याद रहे तो काहे को तकलीफ दुबारा आवे
कोरोना काल में लोगों ने बढ़िया से बढ़िया दवा खिलाया लेकिन फायदा नहीं हुआ। बहुत से मांसाहारी चले गए। वैज्ञानिकों ने भी कहना शुरू कर दिया चमगादड़, मेंढक, बिल्ली, तोता खाने से मर्ज फैला है। वो भी कहने लगे मांस खाने वाले के ऊपर दवा का असर नहीं हो रहा है, मांस को छोड़ो। बहुत से लोगों ने डर के मारे मांस खाना छोड़ दिया था। लेकिन अब जुबान के स्वाद के खातिर फिर चालू कर दिया। देखा जाएगा जो होगा। तकलीफ आती है, आदमी भूल जाता है। तकलीफ अगर याद रहे तो काहे को तकलीफ आवे?
सच्ची पूजा इबादत भजन का रास्ता अगर मालूम हो जाए तो जीवन सार्थक, नहीं तो कौड़ी बदले जाए
मंदिर को अगर साफ-सुथरा रखेंगे, पूजा इबादत भजन का रास्ता अगर मालूम हो जाए तब तो यह जीवन सार्थक होगा नहीं तो ये कौड़ी बदले जाएगा।
बाबा उमाकान्त जी के अनमोल वचन
- ऐसा कोई काम मत करो जिससे देश, किसी व्यक्ति, धर्म, धार्मिक ग्रंथ का नुकसान हो।
- आध्यात्मिक ज्ञान के बिना यह विज्ञान विनाशकारी है।
- देशभक्ति और मानव प्रेम का जज्बा पैदा करने का कार्य करो, लोगों को आध्यात्मिक बनाओ।
- हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, उन्मादों से बचो और लोगों को भी बचाओ।
- हराम का पैसा जहां भी लगेगा, वहीं विनाश करेगा।
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