बायोमास और हरित हाइड्रोजन का उपयोग ऊर्जा संरक्षण की कुंजी है : आर के सिंह
उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का एकमात्र साधन ऊर्जा संरक्षण है। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही ऐसी समितियों का गठन कर लिया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऊर्जा संरक्षण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ कई ट्रैक पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि देश में बिजली की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पहला ट्रैक बिजली उत्पादन मिश्रण में अक्षय (नवीकरणीय ऊर्जा) को शामिल करना है। उन्होंने कहा कि दूसरा ट्रैक ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने वाला होगा जबकि तीसरा ट्रैक बायोमास और हरित हाइड्रोजन का अधिक उपयोग करने का होगा।
उन्होंने कहा कि अगर हम सभी इन बिंदुओं पर सामूहिक रूप से काम करें, तो हम न केवल अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि इससे नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, विकास में तेजी आएगी और अंततः देश के प्रत्येक नागरिक को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्यों से कृषि क्षेत्र में डीजल के उपयोग को सीमित करके वर्ष 2024 तक कृषि में शून्य डीजल उपयोग के प्रयास करने का आग्रह किया। इस संबंध में पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत अलग-अलग कृषि फीडरों के लिए सौर ऊर्जा अपनाने के लिए आरडीएसएस (पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है। सिंह ने बल देकर कहा कि वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी के सफल कार्यान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
Leave a Comment