सन्त, देवी-देवता त्रिदेव से अपने अपनाये जीवों पर दया रक्षा बचाने के लिए कहते रहते हैं
- जीव को अनमोल दौलत नामदान देने वाले समरथ गुरु के एहसान को कोई चुका ही नहीं सकता
- मां के एहसान को नहीं भूलना चाहिए
रेवाड़ी (हरियाणा)। अगले-पिछले जन्मों में मिले और मिलने वाले कर्म फल को दुःखों तकलीफों को अपनी दिव्य दृष्टि से देखते हुए जीवों पर तरस खा कर, उन्हें प्रेम से समझा बता कर विश्वास दिला कर हर तरह से मदद करके अपने असला घर सतलोक ले जाने के लिए कुछ समय के लिए मनुष्य शरीर में आये हुए इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 16 सितम्बर 2022 सायं बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि उस प्रभु के भेजे सभी महापुरुषों का एक उद्देश्य रहा कि कलयुग में भटकते दु:ख झेलते जीवों को समझा कर निज घर पहुंचा दिया जाय।
अपने पिछले जन्मों की दुःख तकलीफ मनुष्य देख ले तो परेशान हो जाएगा
बहुत दिन हो गए जब से अपने असला घर सतलोक से अलग हुए, छोड़े तब से बराबर दु:ख झेल रहे हैं। वह दु:ख अगर याद आ जाये, कोई याद करा दे तो आदमी बहुत परेशान हो जाएगा। जैसे गलती का एहसास होने पर व्यक्ति बराबर उसी को याद करता सोचता परेशान रहता है, इसी तरह से जीव परेशान हो जाएगा। क्योंकि यह भूल भ्रम काल माया का देश है। उसने सतपुरुष से वरदान में मांग लिया कि जीव को पिछले जन्म की बातें याद न रहे इसीलिए आदमी उन तकलीफों को देख नहीं पा रहा है।
छल कपट इतना बढ़ गया कि मददगार से भी लोग छल कपट कर देते हैं
जब किसी को तकलीफ होती है तब प्रभु को याद करता है, कहता है अब हम ऐसी गलती नहीं करेंगे कि हमको फिर यह तकलीफ हो। तकलीफ का कारण भी मालूम हो जाता है। सतसंग बराबर सुनने वालों को अच्छा-बुरा का ज्ञान रहता है। लेकिन चाहे जान में बने या अनजान में बने, बुरे का फल तो बुरा ही होता है। कहता तो है लेकिन ठीक होने पर भूल जाता है। स्वार्थपरता छल कपट इतना लोगों में बढ़ गया कि मदद करने वाले से भी लोग छल कपट कर जाते हैं, एहसान नहीं मानते।
मां, गुरु और काल भगवान जिन्होंने मनुष्य शरीर दिया, उनका एहसान नहीं भूलना चाहिए
गुरु का, मां का, ये शरीर देने वाले का कितना एहसान है लेकिन उसको, उसका स्थान भूल जाते हैं। कब? जब धन प्रतिष्ठा, हर तरह की संपन्नता आ जाती है, उसके अहंकार में आदमी मां के एहसान को जो 9 महीना पेट में रखा पैदा किया पाला दूध पिलाया टट्टी पेशाब धोया बड़ा किया, ये बहुत बड़ा अहसान है लेकिन मां को गाली देते घर से बाहर निकाल देते हैं।
एहसान को कभी भूलना नहीं, चुकाना चाहिए
समरथ गुरु का एहसान तो कोई चुका ही नहीं सकता है जो उपकार उन्होंने किया, जीवों को धोया साफ किया, गंदगी में पड़े हुए थे, इस शरीर की, जीवात्मा की कीमत नहीं मालूम पड़ रही थी, उन्होंने बोध ज्ञान कराया और अनमोल चीज (नामदान) दिया। लेकिन उन चीजों से, उनके बताए रास्ते से अलग हो रहे हैं। सुख शांति का एक रास्ता भजन सुमिरन ध्यान करने का, न मन लगे तो सेवा करने का जो दिया इसी को छोड़ दे रहे हैं, गुरु के वचनों और गुरु को ही भूल रहे हैं।
काल भगवान के बगीचे को उखाड़ोगे, नियम तोड़ोगे तो तकलीफ तो आएगी ही आएगी
काल के एहसान को भूल रहे हैं। काल के ही बगीचे को उखाडने में, उसके नियम को तोड़ने में लगे हुए हैं तो तकलीफ तो आएगी ही आएगी। जैसे मां छोटे बच्चे की रक्षा देखभाल करती, कीड़े मकोड़ों जानवरों से बचाती है। बच्चा बड़ा हो गया तो भी वह प्रभु से प्रार्थना करती रहती है मेरे बच्चे का ध्यान रखना, दया करना। ऐसे गुरु भी बराबर ध्यान रखे रहते हैं, जीवों की संभाल के लिए लगे रहते हैं। जो यह देवी-देवता त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश हैं इनसे भी वह अपने जीवों के लिए कहते हैं, बचाने की कोशिश करते हैं कि हमारे जीव पर दया करना रक्षा करना, जो तुम्हारे हाथ में हैं वो हमारे जीवों के लिए, उनके शरीर के लिए करना। वह भी अपने बच्चे की तरह से (ध्यान रखते हैं) लेकिन जीव एहसान को भूल रहा है। अहसान को कभी नहीं भूलना चाहिए, एहसान को चुकाना चाहिए।
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