महापुरुषों के अच्छे काम में कुदरत, देवी-देवता भी देते हैं साथ


  • तपस्वी भंडारे में जेठ महीने में जैसे कुदरत ने वातावरण को AC एयर कंडीशन बना दिया था

हम आये वही देश से, जहां तुम्हारो धाम, तुमको घर पहुँचावना, एक हमारो काम। इस मृत्युलोक में फसें जीवों को प्रेम से समझाकर, अमोलक नामदान दे कर काल, माया के बंधनों से छुड़वा कर जीते जी मुक्ति-मोक्ष दिलाकर अपने निज धाम सतलोक ले चलने वाले वक़्त के जीते जागते पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने तपस्वी भंडारा कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन 28 मई 2022 को सायंकालीन बेला में उज्जैन आश्रम पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि तपस्वी भंडारा का नाम सुनकर बहुत से लोग घबरा गए की तपस्या करना पड़ेगा।

वे लोग ज्यादा घबराए जो गुरु महाराज के पास खूब आते थे, पसीना बहाते, सेवा करते। सेवा का फल गुरु महाराज ने उनको दिया। वो जो चाहते थे कि हमारे पास धन, मान प्रतिष्ठा, घर हो जाए बढ़िया, वह चीजें उनको मिल गई। उनको ज्यादा फिक्र हुई कि एसी छोड़कर जाएंगे तो कैसे रहेंगे? बराबर कुछ लोगों के फोन आते, पूछते कितनी गर्मी है, कैसी लू चल रही है। कुछ लोग मोबाइल में भी देखे कि उज्जैन का क्या तापमान चल रहा है। वो आये ही नहीं। लेकिन जो चल पड़े, कहा न-

चाहे अग्नि में भी मुझे चलना हो, चाहे कांटों पर मुझे चलना हो।

चाहे छोड़कर देश निकलना हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।।

गुरु को याद करके जो चल पड़े, उनको कुछ महसूस हुआ? कुछ नहीं। लगा कि जैसे कुदरत ने एसी एयर कंडीशन वातावरण बना दिया है। कुछ दिन पहले तो बहुत तेज धूप रहती थी, लोग सोचते भी थे कि शाम पांच बजे से सतसंग है तो बड़ी गर्मी रहेगी, धूप लगेगी। लेकिन कहीं महसूस हुआ? देखो, तमाम प्रेमी सब धूप में आराम से बैठे हुए हैं। पहले हवा गर्म थी लेकिन गर्मी भी इसकी कम हो गयी। आराम से सब हो गया।


गुरु रामदास द्वारा भक्तों की परीक्षा लेने का दृष्टांत

वह थे न गुरु रामदास। भक्तों की परीक्षा लेनी थी उन्हें। बोले, हमको फोड़ा हो गया है। भक्तों ने बोला गुरु महाराज बताओ, दवा इलाज कराते हैं। बोले ईलाज से नहीं जाएगा, बहुत तकलीफ दे रहा है। इस फोड़े में मवाद भर गया है। कोई मुंह से अगर मवाद को खींच ले तो ठीक हो सकता है। सब चले गए। एक जो गुरु का भक्त था, मुंह लगाया। जब उसमें खींचा तो कहा गुरु जी यह मवाद है? यह तो आम का रस है। आम बांध रखा था गुरु जी ने। अपने बेटे को कौन मवाद पिलाएगा?

महापुरुष जो सोच लेते वह हो जाता है

गुरु के जब बंदे हो, उनके नाम पर जब चल पड़े हो, मरने मिटने के लिए एक तरह से, जब कुर्बानी आपके अंदर आ गई, जो भी होगा, देखा जाएगा तो उनको तो इंतजाम करना ही करना था। महापुरुष जो सोचते हैं, हो जाता है। महापुरुषों को कहना, करना नहीं पड़ता है। गुरु महाराज सोच लेते थे, वैसा हो जाता था।

देश में अन्न की कमी से मौतों को रोकने के लिए गुरु महाराज ने यज्ञ कर शिव को प्रसन्न किया

देखो गुरु महाराज ने यज्ञ किया था। पहले हरिद्वार में महामानव यज्ञ, फिर अयोध्या में किया ताकि अन्न की कमी दूर हो जाए। तब अक्सर रेडियो, अखबार में खबर आती रहती थी कि इतने आदमी भूखमरी से मर गए। अन्न नहीं था, हालत बहुत खराब थे। तब गुरु महाराज ने कहा, खुश करना पड़ेगा। जो तकलीफ देने वाले देवता हैं उनको। संहार का काम कौन करता है? शिव। अगर खुश हो जाए तो मदद भी करते हैं।

सृष्टि की जिम्मेदारी है शिव के पास है

सृष्टि की जितनी भी जिम्मेदारी है, शिव के पास है। उन्हीं से ही होकर के ये जीवात्माएं मृत्युलोक में फैली हुई है। जब उनको समेटना होता है, जीवात्माओं को निकाल लेते हैं। किसके द्वारा? उनके माताहत जिनको देवता कहा गया है, जो यमराज हैं, यमराज के दूत सिपाही जिनको कह लो, उनके द्वारा वह निकला लेते हैं।

गुरु महाराज की दया से एक ही दिन में तीन मौसम देखने को मिले

गुरु महाराज ने शिव जी से कहा कि आपके तकलीफ देने के बहुत तरीके हैं। लंबा हाथ है आपका। इनको भूखे मत मारो। तब उन्होंने कहा हम को कोई खिलाया नहीं बहुत दिनों से। में भूखा हूं, आप मेरा पेट भर दीजिए। फिर जो आप इच्छा करेंगे, वह हो जाएगा। फिर अयोध्या में यज्ञ किया। गुरु महाराज की दया से एक ही दिन में तीन मौसम देखने को मिला। बड़ी तेज गर्मी और गर्म हवा चल रही थी। बादल और बारिश के बाद इतना ठंडा मौसम हो गया कि जो दरी बिछाए थे वही ओढ़कर करके पुलाव जलाना पड़ा। एक ही दिन में तीन मौसम दिखा दिया। मैं आपको बता रहा था, जो यह इच्छा करते हैं, वह हो जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.