उच्च शक्ति की मैग्नेट्रॉन प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास का समर्थन कर रही है सरकार : डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली/पीआईवी। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि सरकार मुख्य रूप से कैंसर विकिरण चिकित्सा के लिए उपयोग की जाने वाली उच्च शक्ति की मैग्नेट्रॉन तकनीक के स्वदेशी विकास का समर्थन कर रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) और मेसर्स पैनासिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड, बैंगलोर के बीच "एस बैंड ट्यूनेबल मैग्नेट्रॉन फॉर पार्टिकल एक्सीलिरेटर्स" के विकास और व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता हेतु समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की। टीडीबी ने कंपनी को 9.73 करोड़ की कुल परियोजना लागत में से 4.87 करोड़ की ऋण सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-सीरी (सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट), पिलानी द्वारा व्यावसायिक उपयोग के लिए विकसित उच्च शक्ति वाले मैग्नेट्रॉन कैंसर चिकित्सकों (ऑन्कोलॉजिस्टों) के लिए 2 मिमी व्यास के ब्रेन ट्यूमर को भी बहुत कम दुष्प्रभावों के साथ सटीक विकिरण के साथ उपचार करने में एक पथप्रदर्शक तकनीक होगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल प्रभावकारिता बढ़ेगी, बल्कि यह सूक्ष्म और प्रमुख ट्यूमर के उपचार में भी किफायती सिद्ध होगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि टीडीबी के साथ, पैनेशिया ने भारत का पहला सबसे उन्नत और अभिनव एसबीआरटी सक्षम रैखिक त्वरकों (लीनियर एक्सीलिरेटर्स - एलआईएनएसीएस), सिद्धार्थ II विकसित किया है, जो 3 डीसीआरटी, वीएमएटी, आईएमआरटी, एसबीआरटी और एसआरएस जैसे उपचार के तौर-तरीकों से उपचार करने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि यूएस एफडीए, 510 (के) मंजूरी वाली यह मशीन 11 मई 2022 को मनाए जाने वाले प्रौद्योगिकी दिवस पर लॉन्च की गई है और यह दुनिया का तीसरा ब्रांड है जो दो वैश्विक दिग्गजों इंग्लैंड और जापान के अलावा बाजार के लिए तैयार है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के "मेक इन इंडिया" और "मेक फॉर द वर्ल्ड" के मंत्र के अनुरूप इस मशीन को दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जा सकता है क्योंकि इस कंपनी को यूएस एफडीए की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। वर्तमान में, हमारी अर्थव्यवस्था चिकित्सा अनुप्रयोगों के अलावा एनडीटी, रडार और अन्य औद्योगिक अनुप्रयोगों से संबंधित विभिन्न अनुप्रयोगों में आयातित मैग्नेट्रोन के उपयोग पर निर्भर करती है। अब दुनिया भर में मेडिकल लाइनैक निर्माताओं को आरएफ स्रोत की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले अन्य अनुप्रयोगों के लिए इस तकनीक को आगे बढ़ाया जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पार्टिकल एक्सीलिरेटर्स के लिए एस बैंड ट्यूनेबल मैग्नेट्रॉन के विकास और व्यावसायीकरण" हेतु पैनेशिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज का समर्थन करने वाला प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अब आम आदमी के लिए कैंसर के इलाज को और अधिक किफायती बनाने के लिए सिद्धार्थ II की लागत को और कम करने हेतु पैनसिया को एक कदम आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा। साथ ही यह बड़े पैमाने पर समाज को लाभ पहुंचाने के लिए बाजार संचालित अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने वाले सर्वश्रेष्ठ उद्योग अकादमिक जुड़ाव का भी उदाहरण है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा चिकित्सा उपकरणों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है और देश के स्वदेशी विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारत, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरणों का बाजार है और वैश्विक बाजार में 20वें स्थान पर है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत चिकित्सा उपकरणों की अपनी आवश्यकता का लगभग 86 प्रतिशत और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरणों का लगभग 100 प्रतिशत आयात करता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैश्विक बाजारों के अध्ययन के अनुसार, मैग्नेट्रोन की विश्व स्तर पर भारी मांग है, क्योंकि यह सभी प्रकार के रैखिक त्वरक (लीनियर एक्सीलिरेटर्स), औद्योगिक ताप उपकरण (इन्डस्ट्रियल हीटिंग इक्विपमेंट्स), रडार प्रणालियों, चिकित्सा अनुप्रयोगों, एनडीटी और अन्य उद्योगों के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला तीसरा देश होगा। अभी इंग्लैंड और जापान के पास वैश्विक बाजार का मेंट्स लगभग 80% - 90% हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र को एक मजबूत क्षेत्र बनाने के उद्देश्य से टीडीबी चिकित्सा उपकरणों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के भारत की संकल्पना को गति प्रदान कर रहा है। मैग्नेट्रॉन एक प्रकार की वैक्यूम ट्यूब डिवाइस है। यह अन्य समान माइक्रोवेव ट्यूबों की तुलना में माइक्रोवेव शक्ति का कॉम्पैक्ट और कम लागत वाला स्रोत है। यह उस क्रॉस-फील्ड डिवाइस के सिद्धांत पर काम करता है जो माइक्रोवेव विकिरण उत्पन्न करने के लिए लंबवत (पर्पेंडीकुलर) विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनों की गति का उपयोग करता है, ताकि चिकित्सा, एनडीटी और अन्य संबद्ध अनुप्रयोगों के लिए रैखिक त्वरक (लीनियर एक्सीलिरेटर्स) में आरएफ पावर स्रोत को निर्मित किया जा सके। इस तकनीक को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - केंद्रीय इलेक्ट्रोनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- सीईईआरआई), पिलानी द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और कैंसर के इलाज के लिए विकिरण चिकित्सा मशीन में बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा उपयोग के लिए पैनसिया में स्थानांतरित कर दिया गया है।
टीडीबी के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस, श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही टीडीबी बड़े पैमाने पर सभी के लाभ के लिए ऐसी नवीन/स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। टीडीबी 'पार्टिकल एक्सेलेरेटर्स हेतु एस बैंड ट्यूनेबल मैग्नेट्रॉन' के विकास और व्यावसायीकरण के लिए पैनेशिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज का समर्थन कर रहा है और यह आम आदमी के लिए कैंसर के इलाज को और अधिक किफायती बनाने में आगे का एक कदम होगा। इसके अलावा हम आशा करते हैं कि कई मेडटेक कंपनियां इस तरह की और नवीन तकनीकों के साथ आगे आएंगी और भारत में अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ दुनिया के लिए उपलब्ध कराने के लिए सस्ती कीमत पर इनका निर्माण करेंगी। इस प्रकार यह भारत को दुनिया के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों के प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में बदल देंगी।
पैनासिया के प्रबंध निदेशक जी.वी.सुब्रमण्यम ने कहा कि कंपनी ने लाइनैक को और अधिक स्वदेशी बनाने के साथ ही इसकी लागत को और कम करने के लिए चुनौती स्वीकार की तथा इसके लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - केंद्रीय इलेकट्रोनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- सीईईआरआई), पिलानी से संपर्क किया। इसने कैंसर के उपचार के लिए विकिरण चिकित्सा मशीन में बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग के लिए 2.6 मेगावाट एस-बैंड फ्रीक्वेंसी ट्यूनेबल पल्स मैग्नेट्रॉन हेतु सीईईआरआई द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित 2998 मेगाहर्ट्ज मैग्नेट्रॉन तकनीक का भी अधिग्रहण किया है।
Leave a Comment